येनपक कथा अपने नाम के अनुरूप अनोखा कहानी संग्रह, कविता से कहानी की ओर अनामिका अनु की सशक्त उपस्थिति
Book Review : ‘आसक्त की प्रेमिकाएं अपना अंतिम प्रेम जीती हैं और फिर प्रेम, प्रीत, इश्क, मुहब्बत जैसे असंख्य शब्दों को अपसे हाथ से सदा के लिए किसी निष्ठुर माटी में दफन कर देती हैं.’
‘मुझे आपमें और बेटी में एक को चुनना था, मैंने बेटी को चुना. मैंने झूठे अहंकार और गैरबराबरी की वकालत करती सामाजिक मान्यताओं के बदले नई सोच, समानता और मनुष्यता को चुना. स्वीटी का पति आपके लिए मुसलमान है मगर मेरे और स्वीटी के लिए एक मनुष्य.’
‘दृगा लिखती है.
दृगा गांव आई है. गांव, अपने पति के घर
दिन भर बैठे–बैठे किताब पलटती है. कलम तोड़ती है, कागज काला करती है. कामचोर कहीं की…
सास कहे. पति सुन बैठ–बैठ मुस्काए’
‘उसे हर स्त्री से प्रेम था.
हर स्त्री को उससे छांव मोलना पसंद था.
हर स्त्री को उसके नाम की उलाहना सुनना पसंद था.
हर स्त्री बारिश के आने से पहले उससे मिलना चाहती थी.’
ये चार रोचक........





















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