गंगा भी बनी थी जेपी आंदोलन की गवाह, पढ़ें अब्दुल बारी सिद्दीकी का लेख
-अब्दुल बारी सिद्दीकी-
(पूर्व मंत्री, जेपी आंदोलनकारी)
Sampoorna Kranti Diwas : पांच जून 1974. पटना के हर रास्ते से भारी भीड़ गांधी मैदान की तरफ जा रही थी. पूरे सूबे से जनता पटना की सड़कों पर थी. सुबह के दस से ग्यारह बजे के बीच पटना जाम हो गया. वक्त बीतने के साथ हुजूम बढ़ता जा रहा था. पूरे राज्य में भीड़ को पटना आने से रोकने की कोशिश होने लगी. जगह-जगह बैरिकेडिंग. सड़क पर वाहनों का आवागमन रोक दिया गया. गंगा किनारे से आ रही भारी भीड़ प्रशासनिक दबिश का शिकार हो गयी. जहां-तहां उन्हें रोक दिया गया. फिर आंदोलनकारियों ने उसकी काट खोजी. केले के तने काटे और उसे नाव का आकार दिया. फिर नाव को गंगा में उतार दिया. खासकर वैशाली व मुजफ्फरपुर से बारी-बारी से नाव से आया जत्था सभास्थल पहुंचने लगा. इसे गुप्त रखा गया. वाहनों के रोके जाने के बाद भी आती भीड़ को देखकर सरकारी अमला हतप्रभ था.
दोपहर के तीन बजे तक गांधी मैदान खचाखच भर गया. लगभग साढ़े तीन बजे जयप्रकाश नारायण के सभास्थल पर आने की घोषणा हुई. मुझे ठीक-ठीक याद है. शाम के लगभग चार बज गये होंगे. जेपी मंच पर थे. सरकार विरोधी नारे से आसमान गूंज रहा था. जेपी के माइक पर आते ही नारों का........





















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