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‘विकसित भारत’ के संकल्प को साकार करेंगी महिलाएं, पढ़ें केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी का...

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09.03.2025

अन्नपूर्णा देवी, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री

आदिकाल से ही भारत में महिलाओं का समाज में प्रमुख स्थान रहा है. हम ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’ का देश हैं. अर्थात ‘जहां स्त्रियों का सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं और जहां स्त्रियों का सम्मान नहीं होता है वहां किये गये समस्त अच्छे कर्म भी निष्फल हो जाते हैं”- यह भाव, विचार और विश्वास भारतीय मानस में बसा हुआ है. ‘शतपथ ब्राह्मण’ में उल्लेख मिलता है कि श्रीराम के गुरु वशिष्ठ के गुरुकुल में संगीत और पर्यावरण- संरक्षण का शिक्षण उनकी महान विदुषी पत्नी अरुन्धति ही देती थीं. ऋग्वेद में भी गार्गी, मैत्रेयी, घोषा, अपाला, लोपामुद्रा, रोमशां जैसी अनेक वेद मंत्रद्रष्टा ऋषिकाओं का उल्लेख मिलता है. जिनके ब्रह्मज्ञान से समूचा ऋषि समाज उल्लसित था, परन्तु दुख का विषय है कि स्त्री-शिक्षा की इतनी गौरवपूर्ण व स्वर्णिम परिपाटी, परवर्ती काल में खासतौर से मध्ययुग में आक्रांताओं के शासनकाल और उसके बाद फिरंगियों की गुलामी के दौरान छिन्न-भिन्न होती चली गयी. आजादी के संघर्ष के दौरान और आजादी के बाद महिलाओं का समाज में कुछ सम्मान बढ़ा, लेकिन उनके प्रगति की गति दशकों तक धीमी रही. गरीबी और निरक्षरता महिलाओं के सशक्तिकरण में गंभीर बाधा रही हैं.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक समानता दिलवाने के लिए प्रोत्साहित करना है. इस दिवस का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है. महिलाओं और पुरुषों के बीच समाज में जड़ें जमा चुकी असमानताओं को मिटाकर समानता लाने के उद्देश्य से महिला दिवस मनाया जाता है.

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