संसद में बहस क्यों होती है? क्या यह सरकार को बैकफुट पर ला सकता...
Parliament Monsoon Session : संसद का मानसून सत्र जारी है. साथ ही जारी है बहस और आरोप-प्रत्यारोप का दौर. लोकसभा में दो दिनों तक ऑपरेशन सिंदूर पर बहस हुई और उसके बाद अब इसी मुद्दे पर राज्यसभा में बहस जारी है. बहस के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक हुई. विपक्ष के नेता राहुल गांधी प्रधानमंत्री पर जमकर बरसे और यहां तक कहा कि सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीजफायर अमेरिका के दबाव में किया. उन्होंने पीएम से कहा कि अगर आप अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में नहीं आए थे, तो सदन को बताएं और यह कहें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं. इस बहस का अंत प्रधानमंत्री के जवाब से हुआ, जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट कहा कि सीजफायर के लिए किसी दूसरे देश के दबाव में नहीं किया गया है.इस दो दिवसीय बहस और उसके बाद आए प्रधानमंत्री के जवाब के बाद क्या सरकार के रुख में कोई बदलाव आएगा, या फिर विपक्ष इस बहस के बाद अपनी नीतियों को बदल देगा?
हमारे देश में संसदीय शासन व्यवस्था है, जिसके तहत चुने गए प्रतिनिधि संसद के प्रति जिम्मेदार होते हैं. कार्यपालिका यानी सरकार भी संसद के प्रति जिम्मेदार होती है, यही वजह है कि सरकार को संसद में जवाब देना होता है. संसद में बहस तब होती है जब सरकार कोई नया बिल लेकर आती है, किसी नीति या मुद्दे पर बहस होती है या फिर किसी राष्ट्रीय संकट या जनता से जुड़े सामाजिक और आर्थिक मामले पर भी बहस होती है.
संसद में जो बहस होती है, उसका उद्देश्य मुद्दों से........
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