रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण ही है समाधान
–हर्ष कक्कड़, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त)
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CDS General Anil Chauhan : सीडीएस, यानी सशस्त्र सेनाओं के वर्तमान रक्षा प्रमुख जनरल अनिल चौहान ने पिछले दिनों ‘महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण’ पर केंद्रित एक वर्कशॉप में कहा, ‘हम उन रक्षा उपकरणों के आयात पर पूरी तरह निर्भर नहीं रह सकते, जो हमारे रक्षात्मक और आक्रामक सैन्य मिशनों के लिए आवश्यक हैं. हमें खुद निवेश और निर्माण कर अपने को बचाना होगा.’ उन्होंने आगे कहा, कल के हथियारों से हम आज की जंग नहीं जीत सकते. आज की लड़ाई जीतने के लिए हमें आने वाले कल के हथियार चाहिए. रक्षा उत्पादन को निजी क्षेत्रों के लिए भी खोलने के बाद पिछले कुछ वर्षों से भारतीय रक्षा उद्योग धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, लेकिन अभी प्रारंभिक स्थिति में है.
यह पहली बार नहीं है, जब किसी सीडीएस ने रक्षा उत्पादन में अद्यतन तकनीक अपनाने, आयात पर निर्भरता घटाने और स्वदेशीकरण पर जोर देने की जरूरत बतायी है. देश के पहले सीडीएस जनरल विपिन रावत ने 2021 में कहा था, ‘भारत को अपने युद्ध अपने ही संसाधनों से जीतने होंगे. भविष्य में अगर हमें युद्ध लड़ने और जीतने हैं, तो हम रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भर नहीं रह सकते. ऐसे में, रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण ही रास्ता है.’ उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय सशस्त्र बल अगला युद्ध स्वदेशी हथियारों से लड़ना चाहेंगे.
आयातित हथियारों पर निर्भरता का मतलब राष्ट्रीय सुरक्षा को आउटसोर्स करना है, क्योंकि जो विदेशी कंपनियां हमें हथियारों की आपूर्ति करती हैं, वे दूसरे देशों को भी........
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