वायु प्रदूषण से प्रभावित हो रहे गर्भस्थ शिशु
–डॉ राहुल शर्मा, पल्मनोलॉजिस्ट, फोर्टिस अस्पताल, नोएडा
Air Pollution : वायु प्रदूषण भारत में एक प्रमुख स्वास्थ्य संकट बना हुआ है, जहां परिवेशीय और घरेलू प्रदूषण का स्तर दुनिया में सबसे अधिक है. यह गर्भवती महिलाओं, भ्रूणों, नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों जैसे संवेदनशील समूहों को असमान रूप से प्रभावित करता है. आइआइटी, दिल्ली, अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान, मुंबई और ब्रिटेन तथा आयरलैंड के शोधकर्ताओं के अध्ययन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वायु प्रदूषण का असर गर्भस्थ शिशुओं पर पड़ रहा है. वे कम वजन के और असमय पैदा हो रहे हैं. यह अध्ययन वायु प्रदूषण से उपजे गंभीर संकट की ओर इशारा करता है.
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती के पीएम2.5, पीएम10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषकों के संपर्क में आने पर भ्रूण पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष, दोनों तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं. भारतीय शहरों में अक्सर पीएम2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से कई गुना अधिक दर्ज किया जाता है. ऐसी स्थिति में सांसों के माध्यम से जब गर्भवती के भीतर ये प्रदूषक प्रवेश करते हैं, तब ये उसके पूरे शरीर में सूजन (सिस्टमेटिक इनफ्लेमेशन) और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (जब शरीर में मुक्त कणों की........





















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