International Yoga Day: मां की शक्ति, बच्चों का भविष्य, योग से बदलता परिदृश्य
योग की जन्मस्थली भारत में आज भी इस प्राचीन जीवनशैली को केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मन, शरीर और आत्मा के पोषण के लिए एक दार्शनिक पद्धति के रूप में स्वीकार किया जाता है. भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 50) में कहा गया है-“योगः कर्मसु कौशलम्”, अर्थात् ‘योग कर्मों में कौशल है.‘
भगवान श्रीकृष्ण का स्पष्ट संदेश है कि- सच्चा योग शारीरिक आसन या ध्यान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इस बात में परिलक्षित होता है कि हम अपने दैनिक कर्तव्यों को कितनी कुशलता और ध्यानपूर्वक निभाते हैं.
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में, मेरा दृढ़ विश्वास है कि योग में परिवर्तनकारी क्षमता है, विशेष रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने और बच्चों के पोषण में, जो हमारे समाज की नींव हैं. माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में योग ने वैश्विक मंच पर एक कल्याणकारी और सामाजिक परिवर्तन के साधन के रूप में पहचान प्राप्त की है.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2014 में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया, जो भारत की महान आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक मान्यता सिद्ध करता है. इस वर्ष, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम, “एक धरती, एक स्वास्थ्य के लिए योग” है. जो कि योग की सर्वसमावेशी और सार्वभौमिक अपील को रेखांकित करती है.
माननीय प्रधान मंत्री जी ने भी इस बात पर जोर दिया है कि “योग किसी कॉपीराइट, पेटेंट या रॉयल्टी से मुक्त है। यह लचीला है — आप इसे अकेले, समूह में, गुरु से या स्वयं भी सीख सकते हैं.” जैसे-जैसे हमारा राष्ट्र विकसित भारत बनने की दिशा में अग्रसर हो रहा है, यह आवश्यक हो........
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