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भारत-चीन संबंधों में नयी संभावना

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24.04.2025

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी बार सत्ता में वापसी ने वैश्विक भू-राजनीति को एक बार फिर से अस्थिरता की स्थिति में ला दिया है. अपनी अनोखी विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय व्यापार दृष्टिकोण के लिए मशहूर ट्रंप दूसरी बार भी एक आक्रामक व्यापार नीति के साथ लौटे हैं. उनके इस आक्रामक रुख से न केवल अमेरिका और चीन के संबंध प्रभावित हो सकते हैं, बल्कि भारत और चीन के संबंधों पर भी इसका असर पड़ने की बात कही जा रही है. अपने पहले राष्ट्रपति काल में भी ट्रंप ने चीन के खिलाफ आक्रामक व्यापार रणनीति अपनायी थी. ट्रंप दरअसल लंबे समय से अमेरिका की घरेलू अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की बात करते आये हैं. उनका यह मानना है कि अगर अमेरिका में विनिर्माण क्षेत्र (मैन्युफैक्चरिंग) लौटता है, तो उससे वहां के नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिसके फलस्वरूप अमेरिका की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी. इसी सोच के तहत उन्होंने कई देशों पर भारी टैरिफ (शुल्क) लगाये हैं, जिसे पारस्परिक शुल्क बताया जा रहा है. हालांकि पारस्परिक शुल्क थोपे गये ज्यादातर देशों को अमेरिकी राष्ट्रपति ने 90 दिनों की छूट दी है, पर चीन को ऐसी कोई छूट नहीं दी. इसके बजाय उस पर उन्होंने सीधे 245 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया है.

ट्रंप की इस आक्रामक टैरिफ नीति का प्रतिकूल असर, जाहिर है, केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं है. यह वैश्विक आपूर्ति शृंखला और व्यापार समीकरण को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या इस प्रतिकूल........

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