मनोज कुमार : टूट गयी जिंदगी की लड़ी
Manoj Kumar : ऐसा दो-तीन बार हुआ, जब मनोज कुमार गंभीर रूप से अस्वस्थ हुए. उन्हें अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा. लेकिन हर बार वह जिंदगी की जंग जीतकर सकुशल घर लौट आये, तो खुशी हुई. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. विगत चार अप्रैल को मनोज कुमार की जिंदगी की लड़ी टूट गयी. मनोज कुमार का निधन भारतीय सिनेमा के स्वर्णकाल के एक ऐसे फिल्मकार का जाना है, जिसने अपनी फिल्मों से राष्ट्रभक्ति की अलख जगाकर देश में एक नये युग का सूत्रपात तो किया ही, अपनी फिल्मों से विश्वभर में भारतीय संस्कृति का जयगान भी किया. उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें 2016 में दादासाहब फाल्के से सम्मानित किया गया.
मनोज कुमार से पिछले करीब 50 वर्षों से एक अद्भुत नाता बन गया था. इस दौरान मुंबई में उनके घर पर या उनके दिल्ली आगमन पर तो उनसे मुलाकात होती रही. कभी सोचा न था कि जिस मनपसंद सितारे की ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘शोर’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ जैसी फिल्में देखकर मैं बड़ा हुआ, उनसे एक आत्मीय रिश्ता बन जाएगा. मनोज कुमार ने लगभग 50 फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘हिमालय की गोद में’, ‘नील कमल’, ‘वो कौन थी’, ‘शहीद’,........
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