युद्ध के बदलते तरीकों के बीच संयुक्त कमान जरूरी
संजय बनर्जी (कर्नल रिटायर्ड)
हाल ही में केंद्र सरकार ने संयुक्त थिएटर कमान की स्थापना के लिए नियमों को औपचारिक रूप से अधिसूचित किया है, जो देश के सशस्त्र बलों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. बीते कुछ वर्षों से सशस्त्र बलों में संयुक्त कमान को लेकर अटकलें, चर्चाएं/बहसें हो रही हैं. पर जब पहली बार सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) के पद पर जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति हुई, तब जाकर तीनों सेनाओं की कमान सार्वजनिक तौर पर चर्चा में आयी. पर सच तो यह है कि सशस्त्र बल और रक्षा मंत्रालय काफी समय से संयुक्त कमान को लेकर विचार-विमर्श कर रहे थे, जिसमें सेना के तीनों अंगो- थल सेना, नौसेना और वायु सेना शामिल थे. दरअसल, युद्ध के बदलते क्षेत्रों और नयी युद्ध रणनीतियों के विकास को देखते हुए इसकी आवश्यकता स्पष्ट रूप से महसूस की जा रही थी.
यह सर्वविदित तथ्य है कि सशस्त्र बलों की विभिन्न शाखाएं कभी भी अलग-अलग काम नहीं करती हैं. पहले भी संघर्ष के दौरान हवाई सहायता के लिए थल सेना (आर्मी) को हमेशा वायु सेना द्वारा समर्थन दिया जाता रहा है. सेना के अंगों में जरूरी सहयोग और तालमेल बना रहे, इसके लिए उन्हें संयुक्त प्रशिक्षण दिया जाता रहा है. इसी कारण........





















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