जायज है वायुसेनाध्यक्ष की चिंता
अनिल सहगल
वायुसेनाध्यक्ष अमर प्रीत सिंह ने हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ के सालाना बिजनेस सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा सौदों और रक्षा सामग्री के निर्माण की परियोजनाओं में देरी को लेकर जिस तरह दो-टूक बात कही, वह चौंकाती नहीं, क्योंकि वह सच कह रहे थे. उनके भाषण का बड़ा हिस्सा रक्षा परियोजनाओं में देरी पर केंद्रित रहा. भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष के बाद अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में वायुसेनाध्यक्ष ने कहा, ‘मेरी राय में एक भी परियोजना ऐसी नहीं है, जो समय पर पूरी हुई हो’. एयर चीफ मार्शल ने इस चलन की भी कड़ी आलोचना की कि कंपनियां डिलीवरी की ऐसी समयसीमा बता देती हैं, जिन पर परियोजना को पूरा करना संभव नहीं रहता. उन्होंने कहा, ‘हम यह जानते हुए भी परियोजनाओं पर दस्तखत करते चले जाते हैं कि रक्षा सिस्टम जिस समय पर देने का वादा किया गया है, वह पूरा नहीं होगा. जबकि ऐसे मामलों में मामला प्राण जाये पर वचन न जाये का होना चाहिए.’ बेशक उन्होंने परियोजनाओं का विशिष्ट विवरण नहीं दिया या उस अवधि का संदर्भ नहीं दिया कि परियोजनाओं में कब से हुई देरी भारतीय वायुसेना को प्रभावित कर रही है. उन्होंने इस पर भी चिंता जतायी कि रक्षा क्षेत्र में शोध और विकास के लिए देश को सर्वोत्तम लोगों की सेवाएं नहीं मिल पा रहीं, क्योंकि कुशल लोग विदेश चले जाते हैं.
गौरतलब है कि एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने इससे पहले फरवरी में भी बेंगलुरु में एक एयर शो के आयोजन में युद्धक विमानों की आपूर्ति में देरी पर नाराजगी जतायी थी. चूंकि........





















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