पूर्वोत्तर में नयी उम्मीदों का सूर्योदय
डॉ. पुष्पिता दास
विगत 23 मई को ‘राइजिंग नॉर्थईस्ट इन्वेस्टमेंट समिट’ का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कभी देश का सिर्फ सीमांत क्षेत्र समझा जाने वाला पूर्वोत्तर अब भारत के विकास की कहानी में अग्रणी और ‘संभावनाओं का क्षेत्र’ बनता जा रहा है. फिलहाल पूर्वोत्तर की अर्थव्यवस्था 43 अरब डॉलर की है और जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में दो फीसदी का योगदान करती है. हालांकि पूर्वोत्तर भारतीय अर्थव्यवस्था में इससे ज्यादा का योगदान करने में सक्षम है, क्योंकि वहां अपार संभावनाएं हैं. कहा तो यह भी जाता है कि अगर पूर्वोत्तर की क्षमताओं का बेहतर तरीके से दोहन किया जाये, तो पश्चिम बंगाल के नेतृत्व में पूर्वी भारत 2035 तक तीन ट्रिलियन, यानी 3,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है. विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने में पूर्वी भारत की भूमिका और उसमें पूर्वोत्तर के योगदान का जिक्र करते हुए खुद प्रधानमंत्री ने भी इसका उल्लेख किया.
पूर्वोत्तर की संभावनाओं के टिकाऊ दोहन के लिए केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के भौगोलिक और सामाजिक ढांचों में भारी निवेश किया है. परिवहन व्यवस्था ऐसा ही एक क्षेत्र है, जो आर्थिक विकास में बड़ी भूमिका निभाती है. केंद्र ने इस इलाके में हाइवे, रेलवे, वाटर-वे के विकास के लिए ‘ढांचागत क्रांति’ की नींव रखी है, तो राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर डिजिटल कनेक्टिविटी पर भी पूरा जोर दिया है. माना जाता है कि ये तमाम ढांचागत परियोजनाएं पूरी हो जाने पर न सिर्फ पूरे क्षेत्र में व्यापार संभावनाएं बढ़ेंगी, बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया और उससे आगे तक भी सुगम तरीके से........





















Toi Staff
Gideon Levy
Tarik Cyril Amar
Sabine Sterk
Stefano Lusa
Mort Laitner
Mark Travers Ph.d
Ellen Ginsberg Simon
Gilles Touboul
John Nosta