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Sama Chakeva: पिता कृष्ण के शाप से कैसे मुक्त हुई सामा, भाई बहन के अटूट प्रेम के पर्व की जानें पूरी...

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06.11.2025

Sama Chakeva: पटना. सामा-चकेवा मिथिला का प्रसिद्ध लोक पर्व है. यह पर्व प्रकृति प्रेम, पर्यावरण संरक्षण, पक्षियों के प्रति प्रेम व भाई-बहन के परस्पर स्नेह संबंधों का प्रतीक है. भाई-बहन का यह त्योहार सात दिनों तक चलता है. यह कार्तिक शुक्ल द्वितीया से प्रारंभ और पूर्णिमा की रात तक चलता है. कार्तिक शुक्ल सप्तमी से कार्तिक पूर्णिमा की शाम ढलते ही महिलाएं सामा का विसर्जन करती हैं. आचार्य राकेश झा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल सप्तमी से आरंभ हुए भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक लोक पर्व सामा-चकेवा का कार्तिक पूर्णिमा की चांदनी में विसर्जन होगा. बुधवार की रात व्यापिनी पूर्णिमा में बहनें भाइयों को धान की नयी फसल का चुरा व दही खिला कर सामा-चकेवा की मूर्तियों को नदी- तालाबों में विसर्जित करेंगी. मिथिला का यह सामा त्योहार बडा ही रमणीक होता है.

यह खास कर यहां के महिला समाज का ही पर्व है. जो स्कंद पुराण के इस निम्न श्लोक के आधार पर मनाया जाता है.

द्वारकायाण्च कृष्णस्य पुत्री सामातिसुंदरी।
………
साम्बस्य भगिनी सामा माता जाम्बाबती शुभा।
इति कृष्णेन संशप्ता सामाभूत् क्षितिपक्षिणी।
चक्रवाक इति ख्यातः प्रियया सहितो वने।।

उक्त पुराण में वर्णित सामा की कथा का संक्षिप्त वर्णन इस तरह है कि सामा नाम की द्वारिकाधीश श्री कृष्ण की एक बेटी थी, जिसकी माता का नाम जाम्बवती था और भाई का नाम सम्बा तथा उसके पति का नाम चक्रवाक था. चूडक नामक एक सूद्र ने सामा पर वृंदावन में ऋर्षियों के संग रमण करने का अनुचित आरोप श्री कृष्ण के समक्ष लगाया, जिससे श्रीकृष्ण ने क्रोधित हो सामा को पंक्षी बनने का शाप दे दिया और इसके बाद सामा पंक्षी बन वृंदावन में उडने लगी.

उसके प्रेम मे अनुरक्त उसका पति चक्रवाक स्वेच्छा से पंक्षी का रूप धारण कर उसके साथ भटकने लगा. शाप के कारण उन ऋर्षियों को भी पंक्षी का रूप धारण करना पड़ा. सामा का भाई साम्ब जो इस अवसर पर कहीं और रहने के कारण अनुपस्थित था और लौट कर आया तो इस समाचार को सुन बहन के बिछोह से दुखी हुआ. परंतु श्रीकृष्ण का शाप तो व्यर्थ होनेवाला नहीं था. इसलिए उसने कठोर तपस्या कर अपने पिता श्रीकृष्ण को फिर से खुश किया और उनके वरदान के प्रभाव से इन पंक्षियों ने फिर से अपने दिव्य शरीर का धारण कर अपने धाम को प्राप्त किया. इस अवसर के निम्य आगे दिए........

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