कर्नाटक और केरल में कांग्रेस की मुश्किलें, पढ़ें रशीद किदवई का लेख
Congress: हाल के वर्षों में कांग्रेस बार-बार यह साबित करती रही है कि उसने अपनी गलतियों और विफलताओं से कुछ भी नहीं सीखा. दक्षिण भारत के राज्य आज भी कांग्रेस की प्रतिष्ठा और राजनीतिक अस्तित्व को बचाये रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. तेलंगाना के बाद कर्नाटक एकमात्र बड़ा राज्य है, जहां कांग्रेस सत्ता में है, जबकि सर्वेक्षणों से संकेत मिलते हैं कि केरल में भी मतदाता अगले चुनाव में उसे सत्ता सौंप सकते हैं. पर आश्चर्यजनक रूप से इन दो अनुकूल राज्यों में भी पार्टी अंदरूनी उलझनों और राजनीतिक असमंजस से जूझ रही है.
कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में पार्टी को शानदार विजय मिलने के बावजूद वहां मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू से वैसी ही कशमकश रही, जैसी पहले छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में देखी गयी थी. साल 2018 में छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने वापसी की थी. पर छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव, राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट तथा मध्य प्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सियासी प्रतिद्वंद्विता खुलकर सामने आ गयी. मध्य प्रदेश में तो सिंधिया इतने नाराज हो गये कि भाजपा का दामन थाम लिया. नतीजा यह रहा कि तीनों राज्यों में कांग्रेस सत्ता........
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