Independence Day 2025 : आजादी के गौरव को संजोने का संकल्प लेना भी जरूरी
आजादी तो मिल गई,मगर,यह गौरव कहाँ जुगाएगा ?
मरभुखे! इसे घबराहट में तू बेच न तो खा जाएगा ?
है बड़ी बात आजादी का पाना ही नहीं, जुगाना भी,
बलि एक बार ही नहीं,उसे पड़ता फिर-फिर दुहराना भी।
— राष्ट्रकवि दिनकर
Independence Day 2025 : सन् 712 में इराक के उमय्यद खिलाफत के सिपहसालार मुहम्मद-बिन-कासिम के भारत की पश्चिमी सीमा स्थित सिंध पर आक्रमण और उसमें सिंध के राजा दाहिर की पराजय के साथ ही हमारी स्वाधीनता को जो कलंक लगा,वह आगे के कालखंड में हजार-बारह सौ वर्षों तक गहराता ही चला गया. दिल्ली के समीप तराईन के युद्ध-क्षेत्र में सन् 1192 में मुहम्मद गोरी के हाथों पृथ्वीराज चौहान की निर्णायक हार के ‘ग्रहण’ ने शनै: – शनै: भारत के स्वातंत्र्य-सूर्य को पूरी तरह ग्रस लिया. हमारे समाज-जीवन के सर्वनाशी विभेदों,अलग-अलग क्षेत्रों के शासकों के दंभ और एक-दूसरे को निबटाने की आत्मघाती प्रवृति तथा देश में किसी मजबूत केंद्रीय सत्ता के अभाव ने अरबों,तुर्कों,अफगानों,मुगलों और अंततः धूर्त्त अंग्रेजों को हमें पद-दलित करने के सुअवसर प्रदान किए.
हमारी भूलों और कमियों ने स्वातंत्र्य-देवी को सदियों तक रूष्ट कर रखा और सुदीर्घ पराधीनता की कलंक-रेखा भारतवर्ष के भूगोल पर खिंच गई. पराधीन भारत ने क्या-क्या जुल्म-सितम नहीं सहे? विदेशियों ने इस ‘सोने की चिड़िया’ को न केवल बेरहमी से लूटा;बल्कि उन्होंने हमारी अस्मिता,हमारे मानबिंदुओं और आस्था केंद्रों के साथ जो खिलवाड़ किए,वह भारतीय इतिहास का अत्यंत दु:खमय अध्याय है.
यह भी सत्य है कि कि निराशा और कुंठा की उस दीर्घ-कालावधि में भारतमाता के अनेक वीर सपूतों ने देश के अलग-अलग क्षेत्रों में स्वाधीनता की अलख जगाने के अथक प्रयत्न किए.बाप्पा रावल,राणा कुंभा,राणा सांगा,राणा प्रताप,छत्रपति शिवाजी महाराज,छत्रसाल,दुर्गादास राठौर,गुरु गोविंद सिंह,बंदा बैरागी जैसे शूरवीरों ने इस्लामी दासता के खिलाफ अपने पराक्रम दिखाए. आगे मंगल पांडे,नाना साहेब,रानी लक्ष्मीबाई,तात्या टोपे,बाबू कुंवर सिंह आदि क्रांतिवीरों ने सन् 1857 की क्रांति में ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिलाकर रख दी. इस ऐतिहासिक घटना के बाद अंग्रेजों ने क्रूर दमनचक्र चलाकर आजादी की आवाज सदा के लिए बंद कर देने के विफल प्रयत्न किए. लेकिन सन्........
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