जी-7 में सुधरते दिखे भारत-कनाडा रिश्ते, पढ़ें प्रो. आनंद का खास...
India-Canada relations : कनाडा में संपन्न हुआ जी-7 शिखर सम्मेलन भले विश्व की ज्वलंत भू-राजनीतिक चुनौतियों पर कोई बड़ा समाधान नहीं निकाल पाया, पर इसने भारत और कनाडा को अपने तनावपूर्ण संबंधों को चुपचाप सुधारने का महत्वपूर्ण कूटनीतिक अवसर जरूर दिया. करीब दो वर्षों तक दोनों देशों के रिश्ते सिख अलगाववादी और कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद, जिन्हें भारत ने आतंकी घोषित किया था, तनावग्रस्त थे. जब कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में आरोप लगाया कि निज्जर की हत्या में भारत सरकार की ‘विश्वसनीय संलिप्तता’ के संकेत हैं, तो वह बयान द्विपक्षीय संबंधों में अभूतपूर्व ठहराव का कारण बना.
कनाडा ने भारतीय राजनयिकों को निष्कासित किया, तो भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में अपने राजनयिक वापस बुला लिये और वीजा सेवाएं स्थगित कर दीं. आपसी तनाव केवल निज्जर की हत्या के आरोपों तक सीमित नहीं था, भारत को यह भी लगने लगा था कि कनाडा खालिस्तानी उग्रवाद के प्रति उदार रवैया अपना रहा है. परंतु अब ओटावा में नयी नेतृत्व व्यवस्था और बदलते वैश्विक परिदृश्य के साथ दोनों देश सतर्क व्यावहारिकता के साथ आगे बढ़ने को तैयार नजर आ रहे हैं. मार्च, 2025 में प्रधानमंत्री बनने के बाद अनुभवी अर्थशास्त्री और पूर्व केंद्रीय बैंकर मार्क कार्नी ने कम टकरावपूर्ण लहजे और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की मरम्मत पर जोर देने की नीति अपनायी. उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जी-7 सम्मेलन में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया- यह संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक सोच-समझी पहल........
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