माता-पिता का अलगाव और बच्चों पर असर, पढ़ें विराग गुप्ता का...
Parental Quarrels: देश-दुनिया में पारिवारिक व्यवस्था के क्षय और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से लगता है कि बच्चों का मसला स्नेह की बजाय माता-पिता की अदालती लड़ाई का विकट मैदान बन गया है. देखरेख करने में विफल बेटे को घर से निकालने के लिए बुजुर्ग मां-बाप के मामले में शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ वाले देश में ‘एक व्यक्ति-एक परिवार’ का बढ़ता प्रचलन खतरनाक है. एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने पिछले साल के अपना फैसला पलटते हुए बच्चे के संरक्षण का अधिकार मां को सौंप दिया. जब बच्चा ग्यारह महीने का था, तब से मां-बाप के बीच कानूनी लड़ाई चल रही थी. तलाक के बाद बच्चे का संरक्षण मां को मिला, पर कुछ साल बाद मां ने दूसरी शादी कर पति के साथ मलेशिया में रहने का निर्णय लिया. सौतेले पिता के अनुसार ईसाई धर्म में बच्चे के धर्म परिवर्तन के बाद अदालत से बच्चे के संरक्षण का अधिकार जैविक पिता के पास वापस आ गया, पर मां ने पुनर्विचार याचिका में डॉक्टर और मनोचिकित्सक की रिपोर्ट लगाते हुए कहा कि बच्चा शुरुआत से मां के पास रहा है. अब पिता के पास रहने से उसके अंदर नकारात्मकता और अवसाद बढ़ गया है. इन नये तथ्यों और मेडिकल रिपोर्ट पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट के........
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