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पुण्यतिथि विशेष: गांधी से प्रभावित हुए थे देशबंधु चित्तरंजन दास

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भारतीय राजनीति में देशबंधु चित्तरंजन दास और महात्मा गांधी का आगमन लगभग एक ही कालखंड में हुआ. महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटे और 1917 में चंपारण में नील किसानों के साथ सत्याग्रह कर अपने राजनीतिक जीवन की औपचारिक शुरुआत की. चित्तरंजन दास भी उसी वर्ष सक्रिय राजनीति से जुड़े. यद्यपि दोनों के मन में एक-दूसरे के प्रति सम्मान और आत्मीयता की गहरी भावना थी, तथापि विभिन्न अवसरों पर उनके राजनीतिक विचारों में स्पष्ट भिन्नताएं भी दिखाई पड़ीं.

चार सितंबर,1920 को कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक विशेष अधिवेशन लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में आयोजित हुआ. उस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने पहली बार ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध असहयोग आंदोलन शुरू करने का प्रस्ताव रखा. वह प्रस्ताव कांग्रेस के लिए एक निर्णायक मोड़ था, लेकिन वहां उपस्थित चित्तरंजन दास ने उसका मुखर विरोध किया. दास विधानमंडलों के भीतर से अवरोध की नीति में विश्वास रखते थे, इसलिए वे आंदोलन के बजाय चुनावों में हिस्सा लेने के पक्षधर थे. हालांकि, आश्चर्यजनक रूप........

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