समुद्र पर मंडराता प्लास्टिक कचरे का खतरा
बीते 26 मई को कोच्चि के पास जलमग्न हुए लाइबेरिया के जहाज से फिलहाल तेल के फैलाव और उसमें भरे रसायनों से संभावित प्रदूषण का खतरा तो सामने नहीं आया है, लेकिन जहाज में लदे कुछ कंटेनर के टूटने के बाद उसमें भरे अनगिनत प्लास्टिक को छोटी-छोटी गेंद के आकार के छर्रों का, जिन्हें नर्डल्स भी कहा जाता है, फैलाव अब कन्याकुमारी तक हो गया है और जो जल- जीवन के लिए बड़ा संकट बन गया है. छोटे और हल्के होने के कारण नर्डल पानी पर तैरते हैं और समुद्री धाराओं, नालों और नदियों द्वारा दूर-दूर तक ले जाये जाते हैं. इस बार मानसून के पहले आने और अरब सागर में बड़ी लहरों व छोटे चक्रवात के चलते प्लास्टिक के ये छर्रे दूर तक फैल गए हैं. समुद्री कंटेनरों में भरे सामान को सुरक्षित रखने के लिए इस तरह के छर्रे भरे जाते हैं. तमिलनाडु में कन्याकुमारी जिले के 42 तटीय गांवों में से 36 के समुद्र तटों पर इन प्लास्टिक कचरों का ढेर है. प्लास्टिक के ये टुकड़े कन्याकुमारी शहर के निकट मणाकुड़ी नामक तटीय गांव तक पहुंच चुके हैं. इस बात की भी पुष्टि हो चुकी है कि बीते दिनों कोंकलेच के वानियाकुड़ी तट के पास समुद्र में बह आये कंटेनर के टूटने से ये छर्रे बहे हैं. कन्याकुमारी के कलेक्टर के मुताबिक अभी तक 858 बैग नर्डल्स के एकत्रित किये गये हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 25 किलोग्राम है. फिलहाल इस प्लास्टिक कचरे को बंदरगाहों में रखा गया है. इससे पहले केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम के तीन समुद्री........
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