मौद्रिक समीक्षा में विकास तेज करने पर जोर
रिजर्व बैंक ने विगत छह जून को संपन्न हुई मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.50 फीसदी की कटौती की, जिससे यह घटकर 5.50 के स्तर पर आ गयी है. इसके पहले फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक समीक्षाओं में रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 0.25 फीसदी की दो बार कटौती की थी. इस तरह, इस साल केंद्रीय बैंक रेपो दर में कुल 100 बेसिस पॉइंट्स की कटौती कर चुका है. रेपो दर में 100 बीपीएस की कटौती का असर बैंकिंग क्षेत्र में धीरे-धीरे दिख रहा है. ज्ञात हो कि लगभग 60 फीसदी ऋण ईबीएलआर से जुड़े हैं, जिससे मौजूदा कटौती से औसत उधारी दर में लगभग 30 बीपीएस की गिरावट आने की संभावना है. साथ ही, इसके कारण मियादी जमा और बचत खाता के ब्याज दरों में भी कटौती की जायेगी, जिससे छोटे निवेशकों को नुकसान होगा. डिपोजिट में कम ब्याज दर होने के कारण मौजूदा समय में निवेशक बैंक की जगह निवेश के दूसरे विकल्पों में निवेश कर रहे हैं, जिसके कारण जनवरी तक बैंक डिपॉजिट वृद्धि दर 10.3 फीसदी रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में धीमी है.
उल्लेखनीय है कि इस बार रिजर्व बैंक ने रेपो दर के अलावा नकदी आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी 100 बीपीएस की कटौती की है, जिससे आगामी दिसंबर तक बैंकिंग सिस्टम में 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त........
© Prabhat Khabar
