अपने पैरों पर खड़े होने को बेताब है कांग्रेस, रशीद किदवई का आलेख
Congress Party : कुछ महीनों के बाद देश फिर चुनावी मोड में जाने वाला है. बिहार और पश्चिम बंगाल समेत कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. भाजपा की चुनाव मशीनरी तो पहले ही सक्रिय हो चुकी है. लेकिन कांग्रेस अब भी किंकर्तव्यविमूढ़ नजर आ रही है. ऐसा लगता है कि पार्टी हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में अपने लचर प्रदर्शन से उबर नहीं पायी है. कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव अब भी दूर की कौड़ी दिखाई दे रही है. बीते दिनों बदलाव की चर्चा तो खूब हुई, लेकिन जमीन पर कुछ भी नहीं हो पाया. कांग्रेस कुछ महीने पहले जहां थी, जिस स्थिति में थी, अब भी वहीं खड़ी है. यदि यही स्थिति रही, तो बिहार, असम, पश्चिम बंगाल व केरल के चुनावों में भी उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है. सबसे ज्यादा ताज्जुब प्रियंका गांधी को लेकर है. पिछले छह माह से वे कांग्रेस की महासचिव हैं, पर उन्हें अब तक कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गयी है. उन्हें न किसी राज्य का प्रभारी बनाया गया है, न संगठन में कोई बड़ा काम सौंपा गया है.
जब कांग्रेस अपनी सियासी मौजूदगी दर्ज करवाने के लिए पहले से भी ज्यादा संघर्षशील है, तब उसे ऐसे नेता की दरकार है, जो प्रभावशाली हो, जनता से सीधे संवाद कर सकता हो,........
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