menu_open Columnists
We use cookies to provide some features and experiences in QOSHE

More information  .  Close

अत्यधिक जल दोहन के कारण भूजल स्तर में गिरावट

12 0
07.04.2025

Drinking Water Crisis : धरती पर पानी की जरूरत बरसात से पूरी होती है या ग्लेशियर से. इन दोनों जलस्रोतों का गणित अब डगमगा रहा है. पानी के लिए बरसात के भरोसे बैठना भी अब अनिश्चित-सा हो गया है. अभी से अधिकांश छोटी नदियां सूख गयी हैं और इसका सीधा असर तालाब-कुओं-बावड़ियों पर दिख रहा है. भारत में विश्व की कुल आबादी का करीब 18 फीसदी हिस्सा निवास करता है, जबकि पीने योग्य जल संसाधनों का मात्र चार फीसदी भाग ही उपलब्ध है.

अत्यधिक जल दोहन तथा अकुशल प्रबंधन के कारण भूजल स्तर में निरंतर गिरावट आ रही है. जल संसाधन मंत्रालय के एकीकृत जल संसाधन विकास के लिए राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक जल की जरूरत 1,180 अरब घन मीटर होने की संभावना है. जबकि वर्तमान में देश में जल की उपलब्धता 1,137 अरब घन मीटर है. वर्ष 2030 तक देश की 40 फीसदी आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं होगा. जल गुणवत्ता सूचकांक में भारत 122 देशों में 120वें स्थान पर है और लगभग 70 प्रतिशत जलस्रोत प्रदूषित हैं.


भारी-भरकम बजट, राहत और नलकूप आदि जल संकट का निदान नहीं हैं. करोड़ों-अरबों की लागत से बने बांध सौ साल भी नहीं चलते, जबकि हमारे पारंपरिक ज्ञान से बनी जल संरचनाएं आज भी पानीदार हैं. न देश के बड़े........

© Prabhat Khabar