Chhath Puja: छठ गीतों में गूंजा समाज का दर्द, लोकगायिकाओं ने दी समाज के नई चेतना की आवाज
Chhath Pooja Geet: छठ पूजा हमेशा से भक्ति, परिवार और लोकसंस्कृति का उत्सव रही है. लेकिन इस बार के छठ गीतों ने पारंपरिक आस्था से आगे बढ़कर समाज के ज्वलंत सवालों को अपनी धुन में पिरो दिया है. लोकगायिकाओं ने अपनी आवाज में न सिर्फ छठी मइया के प्रति श्रद्धा जताई, बल्कि युवाओं के पलायन, बाढ़ में विस्थापन, और बेटियों की बराबरी जैसे मुद्दों को भी स्वर दिए हैं. भक्ति और सामाजिक चेतना का यह संगम इस पर्व को नए अर्थों में परिभाषित कर रहा है.
बिहार का सबसे बड़ा लोकपर्व छठ केवल आस्था का प्रतीक नहीं रहा, बल्कि अब यह लोकजागरण का माध्यम भी बनता जा रहा है. पारंपरिक गीतों के बीच इस बार ऐसी आवाजें उभरी हैं, जिन्होंने समाज के संवेदनशील मुद्दों को सुरों में पिरो दिया है. चाहे रोजगार की तलाश में पलायन का दर्द हो या बाढ़ और विस्थापन का दर्दनाक सच छठ के गीतों में इस बार बदलाव की बयार तेज है.
लोकगायिकाओं ने भक्ति के मंच को सामाजिक संवाद का जरिया बना दिया है. भोजपुरी लोकगायिका प्रियंका........





















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