स्मृति शेष : वैज्ञानिक सोच और साहित्यिक अभिव्यक्ति का संगम थे नार्लीकर
-आशुतोष कुमार ठाकुर-
Jayant Vishnu Narlikar : भारत में विज्ञान की कथा कहना, उसे रोचक बनाना और फिर उसमें कल्पना की उड़ान भर देना कोई आसान काम नहीं था. लेकिन जिस तरह एक सितारा अपनी खुद की ऊर्जा से जगमगाता है, उसी तरह डॉ जयंत विष्णु नार्लीकर ने विज्ञान को भाषा और साहित्य की जमीन पर लाकर बिठा दिया. जब यह खबर मिली कि नार्लीकर साहब नहीं रहे, तो एक झुरझुरी-सी आयी, मानो बचपन की किसी दीवार पर टंगी विज्ञान की कोई तस्वीर गिर पड़ी हो. उनकी कहानियां, उनकी कल्पनाएं, उनके लेख जैसे हमारे भीतर की किसी झील में प्रतिबिंब की तरह हमेशा थिरकते रहे. वह मराठी में लिखते थे, लेकिन उनकी पहुंच भाषाओं से परे थी.
जयंत विष्णु नार्लीकर का जन्म 19 जुलाई, 1938 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था. उनके पिता गणितज्ञ और मां संस्कृतज्ञ थीं. उनके घर में ही तारों और छंदों की दोहरी परंपरा बहती थी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से उन्होंने गणित में स्नातक किया. वहां के घाटों पर वह जिन तारों से परिचित हुए, वही शायद उन्हें........





















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