menu_open Columnists
We use cookies to provide some features and experiences in QOSHE

More information  .  Close

बिरसा मुंडा का संघर्ष और राष्ट्रीय पहचान

11 0
10.06.2025

Birsa Munda Punyatithi 2025 : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बड़े आदिवासी नेता, जल-जंगल और जमीन पर आदिवासियों के हक के लिए लड़नेवाले आदिवासी महानायक बिरसा मुंडा से जुड़ी दो तिथियों-नौ जून (शहादत दिवस) और 15 नवंबर (जन्मदिन) का इस साल खास महत्व है. आज उनकी शहादत के 125 साल पूरे हो रहे हैं और 15 नवंबर को उनके जन्म के 150 साल पूरे होंगे. लंबे समय तक इतिहासकारों ने बिरसा मुंडा के योगदान की उपेक्षा की. अब भगवान बिरसा मुंडा को देश के सर्वकालीन सबसे बड़े आदिवासी नेता के तौर पर मान्यता मिल चुकी है. उनके उलगुलान (1895-1900) को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा माना जाने लगा है. उनकी जन्मस्थली उलिहातु को अब राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है. उनके जन्मदिन (15 नवंबर) को जनजातीय गौरव दिवस के तौर पर पूरा देश मनाता है. संसद में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा स्थापित की गयी है. राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू (15 नवंबर, 2022) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (15 नवंबर 2023) उलिहातु जाकर आदिवासी महानायक बिरसा मुंडा को नमन कर चुके हैं. झारखंड ही नहीं, कई अन्य राज्यों में भी बिरसा मुंडा की प्रतिमा लगी है.


बिरसा मुंडा को राष्ट्रीय पहचान मिलने में बहुत वक्त लग गया. हाल के वर्षों में राजनीतिक दलों ने भगवान बिरसा मुंडा के महत्व को समझा. बिरसा मुंडा आदिवासी हितों के लिए लड़नेवाले आदिवासियों के लिए संघर्ष के प्रतीक हैं और लोग उन्हें भगवान मानते........

© Prabhat Khabar