Indus Water Treaty : जरूरी था पाकिस्तान का पानी बंद करना, पढ़ें विवेक शुक्ला...
Indus Water Treaty : सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करके भारत ने पाकिस्तान के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है. भारत ने इतना कठोर कदम 1965, 1971 के युद्धों और कारगिल के समय भी नहीं उठाया था, पर 2016 में उरी आतंकी हमले के बाद देश में इस संधि की समीक्षा करने या इसे रद्द करने की मांग उठी थी. तब भारत ने कहा था कि ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते’ और संधि के तहत अपने अधिकारों का पूरी तरह से उपयोग करने का इरादा जताया था, जिसमें पश्चिमी नदियों पर जलविद्युत क्षमता का विकास और पूर्वी नदियों के पानी का अधिकतम उपयोग शामिल है.
पाकिस्तान एक शुष्क देश है, जहां पानी की उपलब्धता सीमित है. संधि के तहत पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों, सिंधु, झेलम और चिनाब का उपयोग करने का अधिकार मिला था. ये नदियां पाकिस्तान में बहने वाले कुल पानी का करीब 80 फीसदी हिस्सा हैं. पाकिस्तान की अधिकांश आबादी और खेती इन्हीं नदियों के पानी पर निर्भर है. उसकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि पर आधारित है और 90 फीसदी कृषि सिंचाई पर निर्भर है और सिंचाई का अधिकांश पानी सिंधु, झेलम और चिनाब से आता है. संधि में छह नदियों को दो समूहों में विभाजित किया किया था. पूर्वी नदियों में सतलुज, ब्यास और रावी, जबकि........
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